Tuesday, January 14, 2014

अग्नि-पथ

वृक्ष हों भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र छाँह भी,
मांग मत! मांग मत! मांग मत!
अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!

तू थकेगा कभी,
तू थमेगा कभी,
तू मुड़ेगा कभी,
कर शपथ! कर शपथ! कर शपथ!
अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ
!

यह महान दृश्य है,
चल रहा मनुष्य है,
अश्रु-स्वेद-रक्त से,
लथ-पथ! लथ-पथ! लथ-पथ!
अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!

---- हरिवंश राय बच्चन 

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