जब टूटने लगे हौसला, तो बस ये याद रखना,
सफ़र में धूप तो होगी, जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में, तुम भी निकल सको तो चलो
ग़लतफ़हमियों के सिलसिले इस कदर फैले हैं…
कि हर ईंट सोचती है, दीवार हमहीं से है…
संघषोॅ मे यदि कटता है, तो कट जाए सारा जीवन,
कदम कदम पर समझौता करना, मेरा उसूल नही..!
हम आज भी अपने हुनर मे दम रखते है,
होश उड़ जाते है लोगो के, जब हम महफील में कदम रखते है।।
दोपहर तक बिक गया,
बाज़ार का हर एक झूट |
और मैं एक सच ले कर,
शाम तक बैठा रहा ||
बिना मेहनत के हासिल, तख्तो ताज नहीं होते,
ढूँढ़ ही लेते है अंधेरों में मंज़िले अपनी,
जुगनू कभी रौशनी के मोहताज़ नहीं होते…..!!!!!!!!!!!
ढूँढ़ ही लेते है अंधेरों में मंज़िले अपनी,
जुगनू कभी रौशनी के मोहताज़ नहीं होते…..!!!!!!!!!!!
जिंदगी की असली उड़ान अभी बाकी है,
जिंदगी के कई इम्तिहान अभी बाकी हैं,
अभी तो नापी है सिर्फ मुटठी भर ज़मीन तुमने ,
अभी तो सारा आसमान बाकी है !!
जिंदगी के कई इम्तिहान अभी बाकी हैं,
अभी तो नापी है सिर्फ मुटठी भर ज़मीन तुमने ,
अभी तो सारा आसमान बाकी है !!
तालीम नही दी जाती,
परिंदो को उड़ान की |
वो तो खुद ही नाप लेते हैं,
उचाईयां आसमान की ||
सफ़र में धूप तो होगी, जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में, तुम भी निकल सको तो चलो
किसी के वासते राहें कहाँ बदलती हैं ?
तुम अपने आप को, ख़ुद ही बदल सको तो चलो
तुम अपने आप को, ख़ुद ही बदल सको तो चलो
यहाँ किसी को कोई रासता नहीं देता,
मुझे गिराके अगर तुम सम्भल सको तो चलो
मुझे गिराके अगर तुम सम्भल सको तो चलो
यही है ज़िंदगी, कुछ ख़ाक चंद उम्मीदें
इन्ही खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो
इन्ही खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो
ग़लतफ़हमियों के सिलसिले इस कदर फैले हैं…
कि हर ईंट सोचती है, दीवार हमहीं से है…
जब चलना नहीं आता था, तो गिरने नहीं देते थे लोग….
जब से संभाला है खुद को, कदम कदम पर गिराते है लोग….
जब से संभाला है खुद को, कदम कदम पर गिराते है लोग….
संघषोॅ मे यदि कटता है, तो कट जाए सारा जीवन,
कदम कदम पर समझौता करना, मेरा उसूल नही..!
हम आज भी अपने हुनर मे दम रखते है,
होश उड़ जाते है लोगो के, जब हम महफील में कदम रखते है।।
बाज़ार का हर एक झूट |
और मैं एक सच ले कर,
शाम तक बैठा रहा ||
खोकर पाने का मज़ा ही कुछ और है,
रोकर मुस्कुराने का मज़ा ही कुछ और है |
हार तो ज़िंदगी का हिस्सा है मेरे दोस्त,
पर उस हार के बाद जीतने का मज़ा ही कुछ और है ||
मंजिले तो मिलती हैं,
देर से ही सही |
पर गुमराह तो वो हैं,
पर गुमराह तो वो हैं,
जो घर से निकले ही नही ||
एक हद के बाद, दर्द भी दवा बन जाता है,
एक हद के बाद, झूठ भी सच बन जाता है,
यही है असलियत जिंदगी की,
एक हद के बाद, दुश्मन भी दोस्त बन जाता है !!
एक हद के बाद, झूठ भी सच बन जाता है,
यही है असलियत जिंदगी की,
एक हद के बाद, दुश्मन भी दोस्त बन जाता है !!
मौत को तो मैंने कभी देखा नहीं,
पर वो यकीनन बहुत खूबसूरत होगी,
कमबख्त जो भी उससे मिलता है,
जिंदगी जीना ही छोड़ देता है !!
पर वो यकीनन बहुत खूबसूरत होगी,
कमबख्त जो भी उससे मिलता है,
जिंदगी जीना ही छोड़ देता है !!
जिंदगी बहुत कुछ सिखाती है,
थोड़ा रुलाती है, थोड़ा हसाती है,
खुद से ज्यादा किसी पे भरोसा मत करना,
क्योंकि अँधेरे में तो परछाईं भी साथ छोड़ जाती है !!
थोड़ा रुलाती है, थोड़ा हसाती है,
खुद से ज्यादा किसी पे भरोसा मत करना,
क्योंकि अँधेरे में तो परछाईं भी साथ छोड़ जाती है !!
जीत के खातिर बस जुनून चाहिए,
जिसमे उबाल हो, ऐसा खून चाहिए |
यह आसमाँ भी आएगा ज़मीन पर,
बस इरादों मे जीत की गूँज/ हुंकार चाहिए.
जिसमे उबाल हो, ऐसा खून चाहिए |
यह आसमाँ भी आएगा ज़मीन पर,
बस इरादों मे जीत की गूँज/ हुंकार चाहिए.
अगर ख़ुदा नहीं हैं, तो उसका ज़िक्र क्यों ?
और अगर ख़ुदा है, तो फिर फिक्र क्यों ?
और अगर ख़ुदा है, तो फिर फिक्र क्यों ?
हथियार तो सिर्फ शौक के लिए रखते है ,
खौफ के लिए तो बस नाम ही काफी है ।
खौफ के लिए तो बस नाम ही काफी है ।
जिंदगी में इतनी शिद्दत से निभाओ
अपना किरदार,
कि परदा गिरने के बाद भी,
तालीयाँ बजती रहे….।।
अपना किरदार,
कि परदा गिरने के बाद भी,
तालीयाँ बजती रहे….।।
शेर खुद अपनी ताकत से राजा कहलाता है;
जंगल मे चुनाव नही होते ।।
जंगल मे चुनाव नही होते ।।
में बंदूक और गिटार,
दोनों चलाना जानता हूं ।
तय तुम्हे करना है कि
तुम कौन सी धुन पर नाचोगे..।।
इतना भी गुमान न कर आपनी जीत पर ऐ बेखबर,
शहर में तेरे जीत से ज्यादा चर्चे, तो मेरी हार के हैं..!!
वो मायूसी के लम्हों में, ज़रा भी हौसला देता |दोनों चलाना जानता हूं ।
तय तुम्हे करना है कि
तुम कौन सी धुन पर नाचोगे..।।
इतना भी गुमान न कर आपनी जीत पर ऐ बेखबर,
शहर में तेरे जीत से ज्यादा चर्चे, तो मेरी हार के हैं..!!
तो हम कागज़ की कश्ती पर, समुन्दर में उतर जाते !!
तू काम करता गया,
मैं इश्क़ करता गया |
तेरा नाम होता गया,
मैं बदनाम होता गया ||
आज उतनी भी नहीं मयखाने में,
जितनी हम छोढ़ दिया करते थे पैमाने मे ||
दिल के छालों को कोई शायरी कहे,
तो दर्द नही होता |
तकलीफ़ तो तब होती है,
जब लोग वाह -वाह करते हैं ||
तकलीफ़ तो तब होती है,
जब लोग वाह -वाह करते हैं ||
हर फूल को रात की रानी नही कहते,
हर किसी से दिल की कहानी नही कहते,
मेरी आँखों की नमी से समझ लेना,
हर बात को हम जुबानी नही कहते.
हर किसी से दिल की कहानी नही कहते,
मेरी आँखों की नमी से समझ लेना,
हर बात को हम जुबानी नही कहते.
जी भर गया है तो बता दो,
हमें इनकार पसंद है, इंतजार नहीं…!
हमें इनकार पसंद है, इंतजार नहीं…!
मुझको पढ़ पाना हर किसी के लिए मुमकिन नहीं,
मै वो किताब हूँ जिसमे शब्दों की जगह जज्बात लिखे है….!!
मै वो किताब हूँ जिसमे शब्दों की जगह जज्बात लिखे है….!!
सुन्दर।
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