फिर इश्क़ का जुनूं चढ़ रहा है सिर पे ,
मयख़ाने से कह दो दरवाज़ा खुला रखे !
यूँ तो सिखाने को ज़िन्दगी
बहुत कुछ सिखाती है...!!
मगर---
झूठी हंसी हँसने का हुनर तो
बस मोहब्बत ही सिखाती है...!!
वो मेरे दिल पर सिर रखकर सोई थी बेखबर;
हमने धड़कन ही रोक ली,
कि कहीं उसकी नींद ना टूट जाए।
इस शहर के बादल, तेरी जुल्फ़ों की तरह है |
ये आग लगाते है, बुझाने नहीं आते। - २
क्या सोचकर आए हो, मुहब्बत की गली में,
जब नाज़ हसीनों के, उठाने नहीं आते।
गुज़रे है आज इश्क के उस मुकाम से,
नफरत सी हो गयी है, मोहब्बत के नाम से ।
पल पल तरसे थे उस पल के लिए,
मगर यह पल आया भी तो कुछ पल के लिए ,
सोचा था उसे ज़िंदगी का एक हसीन पल बना लेंगे ,
पर वो पल रुका भी तो बस एक पल के लिए.
सो गए बच्चे गरीब के ये सुनकर …।
ख्वाब में फरिस्ते आते है रोटिया लेकर ……!!
मयख़ाने से कह दो दरवाज़ा खुला रखे !
यूँ तो सिखाने को ज़िन्दगी
बहुत कुछ सिखाती है...!!
मगर---
झूठी हंसी हँसने का हुनर तो
बस मोहब्बत ही सिखाती है...!!
ऐ बारिश ज़रा थम के बरस,
जब मेरा यार आ जाए तो झूम के बरस,
पहले ना बरस को वो आ ना सके,
फिर इतना बरस की वो जा ना सके ||
जब मेरा यार आ जाए तो झूम के बरस,
पहले ना बरस को वो आ ना सके,
फिर इतना बरस की वो जा ना सके ||
सुनो साहब ....!!
ये जो इश्क है ना ...?
जान ले लेता है
मगर फिर भी मौत नहीं आती .............!!
ये जो इश्क है ना ...?
जान ले लेता है
मगर फिर भी मौत नहीं आती .............!!
वो नकाब लगा कर खुद को
इश्क से महफूज़ समझते रहे;
नादां इतना भी नहीं समझते कि इश्क
नादां इतना भी नहीं समझते कि इश्क
चेहरे से नहीं आँखों से शुरू होता है!
वो मेरे दिल पर सिर रखकर सोई थी बेखबर;
हमने धड़कन ही रोक ली,
कि कहीं उसकी नींद ना टूट जाए।
इस शहर के बादल, तेरी जुल्फ़ों की तरह है |
ये आग लगाते है, बुझाने नहीं आते। - २
क्या सोचकर आए हो, मुहब्बत की गली में,
जब नाज़ हसीनों के, उठाने नहीं आते।
गुज़रे है आज इश्क के उस मुकाम से,
नफरत सी हो गयी है, मोहब्बत के नाम से ।
दुःख देकर सवाल करते हो;
तुम भी जानम! कमाल करते हो;
तुम भी जानम! कमाल करते हो;
देख कर पूछ लिया हाल मेरा;
चलो कुछ तो ख्याल करते हो;
चलो कुछ तो ख्याल करते हो;
शहर-ए दिल में ये उदासियाँ कैसी;
ये भी मुझसे सवाल करते हो;
ये भी मुझसे सवाल करते हो;
मरना चाहें तो मर नहीं सकते;
तुम भी जीना मुहाल करते हो;
तुम भी जीना मुहाल करते हो;
अब किस-किस की मिसाल दूँ तुम को;
हर सितम बे-मिसाल करते हो।
~ Mirza Ghalib
हर सितम बे-मिसाल करते हो।
~ Mirza Ghalib
क्या खबर थी हमे,
के "मोहब्बत" हो जाए गी..
हमे तो बस...
आपका "मुस्कुराना" अछा लगा था..
के "मोहब्बत" हो जाए गी..
हमे तो बस...
आपका "मुस्कुराना" अछा लगा था..
हम भूल जाते हैं उस के सारे सितम,
जब उस की थोड़ी सी मुहब्बत याद आती है...!!
पल पल तरसे थे उस पल के लिए,
मगर यह पल आया भी तो कुछ पल के लिए ,
सोचा था उसे ज़िंदगी का एक हसीन पल बना लेंगे ,
पर वो पल रुका भी तो बस एक पल के लिए.
सो गए बच्चे गरीब के ये सुनकर …।
ख्वाब में फरिस्ते आते है रोटिया लेकर ……!!
आग सूरज में होती है ,
जलना धरती को पडता है |
मोहब्बत आंखे करती हैं ,
तडपना दिल को पडता है ||
जलना धरती को पडता है |
मोहब्बत आंखे करती हैं ,
तडपना दिल को पडता है ||
खुद ही दे जाओगे तो बेहतर है..!
वरना हम, दिल चुरा भी लेते हैं..!
वरना हम, दिल चुरा भी लेते हैं..!
बहुत गुस्ताख है तेरी यादे,
इन्हे तमीज सिखा दो |
कमबख्त दस्तक भी नही देती,
और दिल में उतर जाती है ||
इन्हे तमीज सिखा दो |
कमबख्त दस्तक भी नही देती,
और दिल में उतर जाती है ||
बड़ी गुस्ताखियाँ करने लगा है,
मेरा दिल अब मुझसे |
ये कम्बखत जब से तेरा हुआ है,
मेरी सुनता ही नहीं।
मेरा दिल अब मुझसे |
ये कम्बखत जब से तेरा हुआ है,
मेरी सुनता ही नहीं।
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