Monday, May 21, 2018

साजन! होली आई है!

साजन! होली आई है!
सुख से हँसना
जी भर गाना
मस्ती से मन को बहलाना
पर्व हो गया आज-
साजन ! होली आई है!
हँसाने हमको आई है!

साजन! होली आई है!
इसी बहाने
क्षण भर गा लें
दुखमय जीवन को बहला लें
ले मस्ती की आग-
साजन! होली आई है!
जलाने जग को आई है!

साजन! होली आई है!
रंग उड़ाती
मधु बरसाती
कण-कण में यौवन बिखराती,
ऋतु वसंत का राज-
लेकर होली आई है!
जिलाने हमको आई है!

साजन ! होली आई है!
खूनी और बर्बर
लड़कर-मरकर-
मधकर नर-शोणित का सागर
पा न सका है आज-
सुधा वह हमने पाई है !
साजन! होली आई है!

साजन ! होली आई है !
यौवन की जय !
जीवन की लय!
गूँज रहा है मोहक मधुमय
उड़ते रंग-गुलाल
मस्ती जग में छाई है
साजन! होली आई है!
-फणीश्वर नाथ 'रेणु'

'होली' - फणीश्वरनाथ रेणु की पहली कविता थी।

No comments:

Post a Comment

मेरी मंज़िल

न जाने क्यूँ ? बचपन से ही दूर रही है, मुझसे मेरी मंज़िल । यत्न भी करता रहा,  गिरता- पड़ता- उठता- चलता रहा । मंज़िल मिलने के भ्रम में, क्या म...