I.
कतरा-कतरा शराब का,
जब लहू में घुल गया।
सही-गलत की समझ को,
राख़ पोतकर,
कुछ धुंधला सा कर गया।
नशे की गलियों में,
दुर्गंध वाले कोने में,
घूमना,
और खींचना,
दो कश सुट्टे के।
गाली गलोच करना,
लडकियों को छेड़ना,
और दूषित करना,
स्वयं को,
बस यही काम बन गया।
कतरा-कतरा शराब का,
जब लहू में घुल गया।
II.
बैठ दो-चार भेडियों के साथ,
जाम छलका,
अनगिनत बार,
नशीली लाल आँखों से,
बाहर आया,
डगमगाते हुए।
सनसनाती रफ़्तार से,
बाइक चलाते-चलाते,
बिगड़ गया,
संतुलन।
अपनों को रोता छोड़,
माँ-बाप की पलकों को,
गीला छोड़,
एक और युवा इस तरह,
मौत के आगोश में समा गया।
कतरा-कतरा शराब का,
जब लहू में घुल गया।
III.
नशे में धुत्त,
मादकता से उन्मुक्त,
दरवाजा खटखटाया,
घर का।
बाट जोहती घरवाली को,
दुत्कारा, फटकारा,
मारा-पीटा,
हवस का शिकार बनाया,
सिसकती हुई उस नारी को,
गालियों की बौछार से नहलाया।
परदे के पीछे छुपा,
वो बालक,
देखता रहा सब,
नशे की आग में इस तरह,
एक और परिवार भस्म हो गया।
कतरा-कतरा शराब का,
जब लहू में घुल गया।
----राजेश मीणा बुजेटा
कतरा-कतरा शराब का,
जब लहू में घुल गया।
सही-गलत की समझ को,
राख़ पोतकर,
कुछ धुंधला सा कर गया।
नशे की गलियों में,
दुर्गंध वाले कोने में,
घूमना,
और खींचना,
दो कश सुट्टे के।
गाली गलोच करना,
लडकियों को छेड़ना,
और दूषित करना,
स्वयं को,
बस यही काम बन गया।
कतरा-कतरा शराब का,
जब लहू में घुल गया।
II.
बैठ दो-चार भेडियों के साथ,
जाम छलका,
अनगिनत बार,
नशीली लाल आँखों से,
बाहर आया,
डगमगाते हुए।
सनसनाती रफ़्तार से,
बाइक चलाते-चलाते,
बिगड़ गया,
संतुलन।
अपनों को रोता छोड़,
माँ-बाप की पलकों को,
गीला छोड़,
एक और युवा इस तरह,
मौत के आगोश में समा गया।
कतरा-कतरा शराब का,
जब लहू में घुल गया।
III.
नशे में धुत्त,
मादकता से उन्मुक्त,

घर का।
बाट जोहती घरवाली को,
दुत्कारा, फटकारा,
मारा-पीटा,
हवस का शिकार बनाया,
सिसकती हुई उस नारी को,
गालियों की बौछार से नहलाया।
परदे के पीछे छुपा,
वो बालक,
देखता रहा सब,
नशे की आग में इस तरह,
एक और परिवार भस्म हो गया।
कतरा-कतरा शराब का,
जब लहू में घुल गया।
----राजेश मीणा बुजेटा
good job dear
ReplyDelete