Wednesday, October 1, 2008

अतृप्त इच्छाए....

currently removed..........sorry!!!

9 comments:

  1. हिन्दी चिट्ठाजगत में इस नये चिट्ठे का एवं चिट्ठाकार का हार्दिक स्वागत है.

    मेरी कामना है कि यह नया कदम जो आपने उठाया है वह एक बहुत दीर्घ, सफल, एवं आसमान को छूने वाली यात्रा निकले. यह भी मेरी कामना है कि आपके चिट्ठे द्वारा बहुत लोगों को प्रोत्साहन एवं प्रेरणा मिल सके.

    हिन्दी चिट्ठाजगत एक स्नेही परिवार है एवं आपको चिट्ठाकारी में किसी भी तरह की मदद की जरूरत पडे तो बहुत से लोग आपकी मदद के लिये तत्पर मिलेंगे.

    शुभाशिष !

    -- शास्त्री (www.Sarathi.info)

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  2. एक अनुरोध -- कृपया वर्ड-वेरिफिकेशन का झंझट हटा दें. इससे आप जितना सोचते हैं उतना फायदा नहीं होता है, बल्कि समर्पित पाठकों/टिप्पणीकारों को अनावश्यक परेशानी होती है. हिन्दी के वरिष्ठ चिट्ठाकारों में कोई भी वर्ड वेरिफिकेशन का प्रयोग नहीं करता है, जो इस बात का सूचक है कि यह एक जरूरी बात नहीं है.

    वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिये निम्न कार्य करें: ब्लागस्पाट के अंदर जाकर --

    Dahboard --> Setting --> Comments -->Show word verification for comments?

    Select "No" and save!!

    बस हो गया काम !!

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  3. हम भी समझते हैं दिलों का धडकना,
    वो मद्धम सी साँसे, जिसम का पिघलना.
    धन्यवाद, अपने विचार हमसे बांटने के लिए.
    वैसे ब्लॉग बनाने, सजाने या ब्लॉग से कमाने सम्बन्धी कोई जानकारी चाहिए तो हम हाज़िर हैं. और आप अपने ब्लॉग पर सफलता पूर्वक लिखते रहें,
    शुभकामनाएं.

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  4. रूमानियत से भरपूर कविता पढ़ कर ह्रदय आनंदित हो गया आपका चिठ्ठा जगत में स्वागत है
    निरंतरता की चाहत है मेरे ब्लॉग पर आने के लिए मेरा आमंत्रण स्वीकारें कृपया जरूर पधारे

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  5. देख ये जीवन है प्यारे!
    अन्त इच्छाओं का
    क्यूँ तू ढूँढता हैं
    तृप्ति जो मिल जाय तो
    फिर मुक्त-जीवन हो चलेगा
    ठहर जा, सन्तोष कर ले...

    एक लम्बी साँस भर ले
    फिर बढ़े जा समर-पथ पर
    जान कर मत हो विकल तू
    सत्य है तू बोध कर ले...
    अतृप्त इच्छाएं बहुत है...
    जा अभी कुछ शोध कर ले

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  6. कविता अच्छी है। बधाई!
    मैने तो देखा-देखी हाथ साफ कर लिया। हिन्दी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है।

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  7. अतृप्त इच्छाएं बहुत है...
    जा अभी कुछ शोध कर ले

    आप अपने मन की बात कहने में सफल रहे। मै रिजवाँ वास्ती की पंक्तियों के माध्यम से कहना चाहता हूँ कि-

    इक दर्द है कि दिल से हटाया न जा सके।
    इक चैन है कि ढूँढ के लाया न जा सके।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
    कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  8. thanks you all great poets....for your praise and feedback.......

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