ज़मी को छोड़ कर,
आकाश छूने की तमन्ना,
अरसों से दिल में छुपी है,
पर बाँधती कुछ डोरियाँ हैं,
पाँव को,
ज़मी में धँसे खूँटे से,
मोह के बंधन बहुत हैं।।
--- राजेश मीणा 'बुजेटा'
आकाश छूने की तमन्ना,
अरसों से दिल में छुपी है,
पर बाँधती कुछ डोरियाँ हैं,
पाँव को,
ज़मी में धँसे खूँटे से,
मोह के बंधन बहुत हैं।।
--- राजेश मीणा 'बुजेटा'