I.
मगर तुझे एहसास न था|
दूरिया घटती गयी हर गुजरते लम्हे के साथ,
मुझे था मालूम,
मगर तू जान कर भी रही अनजान,
इस बात का तुझे एहसास न था||
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II.
इन जुल्फ की छाया तले,सपने सजाने दे,
झील से इन चक्षुओं में डूब जाने दे|
हाँ मै तो पुजारी हूँ तेरा सदियों से,
बस इन लबो के जाम को मुह पर सजाने दे||
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